महात्मा गाँधी का पूरा जीवन परिचय
परिचय:
महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहन दास कर्मचंद्र गाँधी था। हमलोग इन्हे भारत के राष्ट्रपिता और बापू के नाम से भी जानते हैं।महात्मा गाँधी का जन्म गुजरात के पोरबंदर में 2 अक्टूबर 1869 में हुआ था। इनके पिता का नाम कर्मचंद्र गाँधी और माता का नाम पुतलीबाई गाँधी था। इनका विवाह कस्तूरबा माखनजी से 13 वर्ष की उम्र में 1883 में हुआ। महात्मा गाँधी सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलते थे। हमलोग हर साल 2 अक्टूबर को गाँधी जयंती के रूप में मानते हैं।गाँधी जी का नाम महात्मा सबसे पहले रविंद्रनाथ टैगोर ने दिया। जिसका अर्थ होता हैं "एक महान आत्मा"
शिक्षा:महात्मा गाँधी की प्रारंभिक शिक्षा गुजरात के पोरबंदर और राजकोट में में ही हुई। शादी के बाद भी गाँधी जी ने अपनी पढ़ाई जारी रखी। वे कानून के पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड गए। उन्होंने बैरिस्टर की डिग्री लेकर भारत वापस आ गए।
योगदान स्वतंत्रा संग्राम में:
1.चम्पारण सत्याग्रह
2.खेड़ा आंदोलन
3.असहयोग आंदोलन
4.दांडी मार्च
5.भारत छोड़ो आंदोलन
6.अछूतोद्वार और सामाजिक सुधार
7.सत्याग्रह और अहिंसा का सिद्धांत
8.गाँधी इरविन समझौता
इसमें से प्रमुख हैं:-
चम्पारण सत्यग्रह:जब गाँधी जी लंदन से वापस आये तो उनका सबसे बड़ा और पहला योगदान "चम्पारण सत्याग्रह" था। यह आंदोलन 1917 में किया गया था। यह बिहार के चम्पारण जिले से शुरू हुआ। जहा नील की खेती करने वाले किसानों पर हो रहे अत्याचारो पर अँग्रेज के खिलाफ आंदोलन किया। और यह आंदोलन सफल भी रहा। किसानों की मांगों को मानना पड़ा अंग्रेजी सरकारों को।
खेड़ा आंदोलन:गाँधी जी ने गुजरात के खेड़ा जिले में किया था। यह आंदोलन 1918 में किया गया था। इस आंदोलन में भी अंग्रजो को झुकना पड़ा। इस आंदोलन का मुख्य मुद्दा था जमीन पर भारी टैक्स, खेती अच्छी न होने के कारण भी पूरा टैक्स लिया जाता था। किसानों की माँगे थी की जब फसल अच्छी ना हो तो टैक्स में छूट दी जाए।और इस आंदोलन के कारण, ब्रिटिश सरकार को शर्ते माननी पड़ी।
दंडी मार्च आंदोलन: इस आंदोलन की शुरुआत 12 मार्च 1930 को किया गया। इस आंदोलन का उद्देश्य नमक पर लगे टैक्स को हटाना था। गाँधी जी गुजरात के अहमदाबाद में स्थित साबरमती आश्रम से दांडी गांव तक 385 K.M की पैदल यात्रा शुरू कि। दांडी गांव के समुन्द्र किनारे पहुंच कर नमक बनाकर उस कानून का उलंघन की जो अंग्रजो ने बनाया था। फिर इसके बाद भारत के लोगो ने दांडी गांव के तट पर जाकर ब्रिटिश नमक कानुन का उलंघन किया। इस आंदोलन से ब्रिटिश सरकार को भारत के लोगों में एकता नजर आने लगा। यह आंदोलन 6 अप्रैल 1930 को समाप्त हुआ।
भारत छोड़ो आन्दोलन: इस आन्दोलन की 8 अगस्त 1942 में शुरुआत किया गया। इस आन्दोलन की शुरुआत एक नारा "करो या मरो" से की। अंग्रेजों से भारत छोड़ने की मांग की।यह आन्दोलन अगस्त क्रांति के नाम से भी जाना जाता हैं। इस आंदोलन का जो मकशद था,अंग्रेज़ो को भारत छोड़ कर तुरंत अपने मुल्क वापस जाने के लिए मज़बूर करना। यह आंदोलन ब्रिटिश के खिलाफ अंतिम और बहुत ही जोरदार आंदोलन था। इस आंदोलन में भले ही तुरंत सफलता प्राप्त नहीं हुई। अंग्रजो ने आंदोलन के तुरंत सत्ता नहीं छोड़ी।लकिन इस आंदोलन से भारत के लोगो में आक्रोश,संचार और ऊर्जा को बहार निकलने का काम किया। इस आंदोलन के कारण महात्मा गाँधी समेत जवारलाल नेहरू,सरदार बल्लवभाई पटेल और भी मुख्य सेनानी को गिरफ्तार कर लिया गया। लकिन इसके बावजूद भी अंगरेजों के खिलाफ यह आंदोलन जारी रहा। भारत के हर बड़े छोटे गांव शहर से लोग अंगेरजो के खिलाफ खड़े हुए। इस आंदोलन से अंग्रेज को समझ आ गया की अब भारत पर लम्बे समय तक राज करना असम्भव हैं। भारत छोड़ो आंदोलन ने हर भारतीय को बच्चे,बूढ़े,औरत,आदमी सभी ने अंग्रेजो के विरुद्ध मुखालिफत किया।यह आंदोलन इतनी तेजी से फैला पुरे भारत में की अंग्रजो को पूरी तरह अहसाह हो चूका था।अब यहाँ शासन करना मुमकिन नहीं हैं। इस आंदोलन ने आखरी बुनियाद रखी स्वतंत्रा के लिए। अब इस आंदोलन की बुनियाद और भी मजबूत हो गयी। अब कुछ ही समय की वक्त रहे गया था।और आंदोलन की बुनियाद इतनी मजबूत थी की अंग्रेजों को 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रा भारत छोड़ना पड़ा।
गाँधीबादी नियम और विचार:
गाँधीजी के नियम/सिद्धांत सत्य और अहिंसा था। गांधीजी का मानना था, अगर ईस्वर को पाना हैं तो सत्य के मार्ग पर चलना होगा। सत्य ही ईश्वर हैं।
अगर देश में परिवर्तन लाना हैं,तो हमें सबसे समाज में परिवर्तन लाना होगा। और एक ही तरीका हैं,और वह हैं "अहिंसा"। किसी तरह की हिंसा किये बिना समाज को परिवर्तित करना। किसी तरह की हिंसा करना गलत हैं। वह सत्य और अहिंसा की रास्ते पर चल कर ही भारत के स्वतंत्रा संग्राम के लिए आंदोलन किया।
गांधीजी की मृत्यु:
गांधीजी की मृत्यु 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे के द्वारा हुई। नाथूराम गोडसे ने गांधीजी के सीने में 3 गोलिया मारा था। नाथूराम गोडसे एक हिन्दू राष्ट्रवादी था। इसका मनना था की गाँधी जी के के विचार देश को लेकर(भारत और पाकिस्तान) हिन्दू के विरुद्ध हैं। इसलिए उसने ऐसा किया। गांधीजी के अंतिम शब्द थे,"हे राम"