Dr.Sarvepalli Radhakrishnan biography in hindi:डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी के बारे में

0

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी का जीवन परिचय

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक महान शिक्षक,फिलॉस्फर किंग और फिलॉस्फर प्रेजिडेंट ऑफ़ इंडिया और भी कही नमो से भी जाने जाते हैं। डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन स्वतंत्र भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति थे।
Dr.Sarvepalli Radhakrishnan biography in hindi

जीवन परिचय:

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी का जन्म 5 सितम्बर 1888 को तमिलनाडु के तिरुतनी गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पता का नाम सीताम्मा और पिता का नाम सर्वपल्ली वीरास्वामी था। उनका परिवार तेलगु भाषी थे।उनके पिता गरीब थे लकिन वे एक विद्वान ब्राह्मण भी थे। उनके पिता चाहते थे की वे एक बड़े पुजारी बने। उन्हें पढ़ाई में बहुत रूचि थी।उन्होंने आरंभिक शिक्षा उसी गांव में रहकर प्रारम्भ की। उनका बचपन तिरुतनी गांव में ही व्यतीत हुआ।

उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए उनके पिता ने उनका एडमिशन क्रिश्चन मिशनरी संस्था लुथर्न मिशन स्कूल में करा दिए। उन्होने वहां 1896 से 1900 तक में वे अपनी स्कूली शिक्षा ग्रहण प्राप्त की। 

उन्हें पढ़ाई में बहुत रूचि थी। वे आगे की पढ़ाई के लिए, मद्रास के प्रतिष्ठित कॉलेज "क्रिश्चन कॉलेज" में दर्शनशास्त्र अध्ययन के लिए दाखिला ली।उन्होंने 1906 में M.A कम्पलीट की।स्कूली शिक्षा के बाद डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी को आगे की पढ़ाई के स्कॉलरशिप मिलती रही

16 साल की उम्र में ही डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी का विवाह दूर के चचरी बहन शिवाकमु से हुआ। उनसे उनको 6 संताने हुई, 5 बेटी और 1 बेटा हुये। बेटे का नाम सर्वपल्ली गोपाल था जो की एक भारत के महान इतिहासकार थे । राधाकृष्णन जी की पत्नी का मौत 1956 में हो गई थी।

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी का एकेडेमिक करिअर:

1909 में डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन असिस्टेंट प्रोफेसर बने मद्रास प्रसिडेंसी कॉलेज के। उन्होंने करिअर की शुरुआत दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर के रूप में किया। इसके बाद  1918 में डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन मैसूर विश्वविद्यालय में एक प्रोफेसर के रूप में कार्य किये। और यह उस समय की बात हैं जब हमारा भारत आज़ाद भी नहीं हुआ था। तब ऐसी उपलब्धिया पाना बहुत बड़ी बात हैं, उस समय ब्रिटिश शासन चल रहा था। और उस समय एक भारतीय को यूनिवर्सिटी का प्रोफेसर नियुक्त किया गया। वहां पर उन्होंने लगभग 40 साल तक पढ़ने का काम किया। 

1926 में डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी को अमेरिका के प्रतिष्ठित Harvard University में आयोजित International Congress of Philospohy में बुलाया गया। जिसमे पूरी दुनिया से महान व्यक्ति शामिल हुए।डॉ डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन Kolkatta University को प्रस्तुत किया। उनके ज्ञान और फिलोसोफिकल के कारण 
बाद में इंगलैंड की विश्वप्रसिद Oxford Vishwavidalaya में धर्म और नैतिकता के स्प्लेन्डिंग प्रोफेसर के रूप में 1936 नियुक्त किया गया।

1939 डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी को आंध्र विश्वविद्यालय के कुलपति बनाया गया उन्होंने वह 1948 तक काम करते रहे,वही पर डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी जी को में ब्रिटिश साशन काल में "सर" की उपाधि से सम्मानित भी किया गया। शिक्षा के क्षेत्र में इतने उपलब्धियां और बेमिशाल कार्यो के लिए हर वर्ष उनके जन्म दिवस(5 सितम्बर) को शिक्षक दिवस के रूप में मानते हैं। 

राजनितिक जीवन:

भारत को स्वतंत्रा मिलने के बाद डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी भारतीय राजनितिक में आये।डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारत के पहले उपराष्ट्रपति चुने गए। डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन वो एक ऐसे नेते थे जो की बहुत ही साधारण जीवन व्यतीत करते थे।  हमेशा शिक्षक और छात्र के लिए सच्ची श्रद्धा रखते थे। डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी को भारत के दूसरे राष्ट्रपति के रूप में चुना गया 1962 में। वो राष्ट्रपति के पद पर 1962 से 1967 तक रहे। उनका शासन काल बहुत ही चुनीतिपूर्ण था। डॉ राजेंद्र प्रसाद की तुलना में, क्युकी उन्ही के शासन कल में चीन और पाकिस्तान के साथ युद्व हुआ। 
चीन के साथ युद्ध: 
यह युद्ध 1962 में  सीमा(Border) विवाद के कारण युद्ध हुआ जिसे Sino-Indian war के नाम से जाना जाता हैं।और इस युद्ध में भारत के हर का सामना करना पड़ा।
पाकिस्तान के साथ युद्व: 
1965 की बात हैं जब पाकिस्तान और भारत के बिच दूसरा युद्ध हुआ। इस युद्ध का कारण था कश्मीर। यह युद्ध अगस्त में सुरु हुआ और सितम्बर तक चला। यह युद्ध 1996 में रोका गया एक समझौते से। उस समझौते का नाम था ताशकंद समझौता। इस समझौते के बाद दोनों देशो में फिर से समन्धो को पुनस्थपित किया गया। 

शिक्षक दिवस की शुरुआत:

हमलोग 5 सितम्बर को शिक्षक दिवस मानते हैं। 5 सितम्बर 1988 को डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी का जन्म हुआ था। डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का का शिक्षा में बहुत बड़ा योगदान रहा हैं, वो शिक्षा और शिक्षकों के प्रति गहरी श्रद्धा रखते थे। वो अपने करियर की शुरुआत शिक्षक के  रूप में किये थे। वो एक शिक्षक के साथ साथ एक प्रसिद्ध दार्शनिक, विचारक और राजनेता भी थे।जब डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन राष्ट्रपति बने तो उनके कुछ मित्रो और पुराने छात्रों ने मिलकर जन्मदिवस मानाने की इच्छा प्रकट की, तो इस पर डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी कहते हैं की यदि आपलोग वास्तव में मेरा जन्मदिवस मनाना चाहते हैं तो 5 सितम्बर को सभी शिक्षकों को सम्मान के रूप में मनाये। और इस दिवस को शिक्षक दिवस के रूप में मनाये।शिक्षक समाज के निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। और तब से 1962 से लेकर हमलोग शिक्षक दिवस मानते हैं।
शिक्षक दिवस 1962 से मानना शुरू और 2023 तक 62 बार मना चुके हैं। 

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी के आदर्श:

स्वामी विवकानन्द जी को आदर्श मानते थे।स्वामी विवकानन्द जी के विचारो और प्रचार-प्रसार धर्म और भारतीय संस्कृति की,इन्ही सब कारण से राधाकृष्णन जी को गहराइयों से प्रभाभित किया।
रविंद्रनाथ टैगोर को भी अपना आदर्श मानते थे।राधाकृष्णन जी को रविंद्रनाथ टैगोर साहित्य और दार्शनिक विचारो ने बहुत ज्यादा प्रभावित किया। रविंद्रनाथ टैगोर ने मानवता मूल्यों और आदर्श पर जोर दिया। इनके साहित्यों में प्रकृति के लिए प्रेम और व्यक्त होता हैं। टैगोर के मानवतावाद और प्रकृति प्रेम को अपने लेखन में अपनाया।

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी के प्रमुख किताब:

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन द्वारा लिखी गयी किताबे

1.द हिन्दू व्यू ऑफ़ लाइफ 

2.गौतम बुद्धा 

3 .विश्वास की पुनः प्राप्ति 

4. धर्म और समाज 

5. द हिन्दू व्यू ऑफ़ लाइफ 

6.एन  आइडेलिस्ट व्यू ऑफ़ लाइफ 

7. द स्प्रिट ऑफ़ रिलीजीएन 

8. द फिलॉस्फी ऑफ़ रबीन्द्रनाथ टैगोर 

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी का मृत्यु:

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी का मृत्यु 17 अप्रैल 1975 को बीमारी के कारण तमिलनायडू (चेन्नई में )मृत्यु हुई ।उनके जन्म दिवस पर और सभी शिक्षको के सम्मान में 5 सितम्बर,शिक्षक दिवस के रूप में मानते हैं।उनके जीवन कार्य शिक्षा,भारतीय दर्शन और सार्वजनिक जीवन में महत्पूर्ण रहे हैं। उनकी शिक्षाओं आने वाली पीढ़ी के लिए मार्गदर्शन बनी हुई हैं।


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें (0)
To Top